अब तक जो सोचता था
वो बयां करना चाहता हूँ
इशारों में बोल नहीं पाया
लफ्जों से कहना चाहता हूँ
जिसकी मंजिल तुम हो
वो पथ चलना चाहता हूँ
जो सिर्फ तुम तक पहुंचे
वो खत लिखना चाहता हूँ
हर रात जो तुम देखो
वो सपना होना चाहता हूँ
हर पल तुम्हारे साथ हो
ऐसा अपना होना चाहता हूँ
तुम्हारे हाथों में रहनेवाली
प्रेम की लकीर होना चाहता हूँ
जिसकी हर दुआ में तुम रहो
ऐसा फकीर होना चाहता हूँ
जिसमें तुम्हारी यादें हो
वो डायरी लिखना चाहता हूँ
जिसकी तुम प्रेरणा हो
वो शायरी लिखना चाहता हूँ
तुम्हारी जिंदगी का हसीन
किस्सा बनना चाहता हूँ
तुम्हारी जिंदगी का अभेद
हिस्सा बनना चाहता हूँ
जो तुम्हारे बाद आए
वो नाम बनना चाहता हूँ
अगर तुम सीता बनी
तो मैं राम बनना चाहता हूँ
© गंधार कुलकर्णी
२५ जानेवारी २०२३
Bahot badhiya 👍
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteफारच सुंदर कविता
ReplyDeleteNice 👍👌 sir
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